CATEGORIES
Categories
गेहूं की मेड़ पर बिजाई करने का तरीका और फायदे
हरियाणा में गेहूं की खेती रबी सीजन में है तथा दक्षिणी हरियाणा खासकर रेवाड़ी जिले के किसान गेहूं उत्पादन में अच्छी मेहनत करते हैं। यहां के किसान अभी तक सीड ड्रिलिंग मशीन से ही गेहूं की बिजाई करते हैं।
दुधारू पशुओं का दुग्ध उत्पादन एवं गर्भावस्था में आहार प्रबंधन
हरा चारा भरपूर मात्रा में उपलब्ध हो तो दुधारू पशुओं के लिए बहुत अच्छा रहेगा। अच्छे हरे चारे जैसे बरसीम, जई और ज्वार इत्यादि की दो तिहाई मात्रा और एक तिहाई भूसा देना सर्वोत्तम रहेगा और दुधारू पशु 6-8 लीटर तक दुग्ध उत्पादन मामूली दाना मिश्रण की मात्रा के साथ बनाये रख सकता है।
आधुनिक कृषि का पर्यावरण पर प्रभाव
सारांश : आधुनिक कृषि प्रणाली के प्रयोग से खाद्यान्न उत्पादन में अविश्वसनीय वृद्धि हुई है जिसके फलस्वरूप देश ने खाद्यान्न उत्पादन न सिर्फ आत्मनिर्भरता प्राप्त कर ली है अपितु खाद्यानों का निर्यात दूसरे देशों में भी किया जा रहा है। आधुनिक कृषि प्रणाली में उपयोगी आधुनिक विधियां जैसे उन्नत किस्म के बीजों का प्रयोग, भारी मात्रा में रासायनिक खादों का प्रयोग एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है जिसके कारण अनियंत्रित वर्षा, सूखा, बाढ़ एवं भूस्खलन जैसे घटनाओं ने किसानों को भूखमरी के कगार पर ला खड़ा किया है।
मूंगफली में समन्वित कीट प्रबंधन
अधिकतर हानिकारक कीट-पतंगे जैसे हरीलट, कातरा, सफेद लट आदि के व्यस्क प्रकाश की तरफ आकर्षित होते हैं। रात्रि में लाईट ट्रेप लगाकर इनका नियंत्रण कर सकते हैं। किसान खेत में बल्ब या लालटेन रात्रि में जलाकर उसके नीचे पानी की परात भरकर रख दें एवं उसमें थोड़ा मिट्टी का तेल डाल दें।
फसली अवशेष प्रबंधन एक चुनौती
धान व गेहूं दोनों ही फसलें ऐसी हैं जो संभवतः अधिकतम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करती हैं। इन फसलों में बहुत अधिक जल, रासायनिक खाद व दवाओं का प्रयोग होता है। इन्हीं फसलों के अधिकतर अवशेषों में आग लगाई जाती है। ये दोनों फसलें आमतौर पर अधिक उत्पादकता वाले क्षेत्रों में उगाई जाती हैं।
बकरी पालन-सफलता की सीढ़ी
बकरी के दूध में कैल्शियम, फास्फोर्स, मैग्नीशियम, पोटाशियम, क्लोरीन तथा जिंक की मात्रा गाय के दूध के मुकाबले ज्यादा होती है। बकरी के दूध के औषधीय गुणों का अंदाजा तो इस बात से ही लग सकता है कि पुरातन समय से गरीब आदमी बकरी के दूध का सेवन करता था क्योंकि उसके पास गाय पालने के लिए पैसे नहीं होते थे। गरीब आदमी में अमीरों के मुकाबले कोई बीमारियां कम होती थी। आजकल भी मच्छरों के मौसम में बकरी के दूध की मांग निरंतर बढ़ रही है।
हरे चारे के लिए ज्वार की खेती
ज्वार खरीफ मौसम की सबसे महत्वपूर्ण चारे की फसल है। यह पोषक तत्वों से भरपूर स्वादिष्ट चारा है जिसे जानवरों को हरा या सुखाकर साईलेज बनाकर खिलाया जा सकता है।
अलसी की वैज्ञानिक खेती
परिचय : अलसी तिलहन फसलों में दूसरी महत्वपूर्ण फसल है। विश्व में अलसी के उत्पादन के दृष्टिकोण से हमारे देश का तीसरा स्थान है जबकि प्रथम स्थान पर कनाडा व दूसरे स्थान पर चीन है। वर्तमान समय में लगभग 448.7 हजार हैक्टेयर भमि पर इसकी खेती की जा रही है एवं कुल उत्पादन 168.7 हजार टन व औसतन पैदावार 378 कि.ग्रा.प्रति हैक्टेयर है।
जुगाली करने वाले पशुओं हेतु पशु चाकलेट की उपयोगिता
अपने देश में विभिन्न स्रोतों से प्राप्त शुष्क पदार्थ में हरे चारे का उत्पादन 12.60 करोड़ टन है, सूखे चारे का उत्पादन 36.50 करोड़ टन है और दाना 3.4 करोड़ टन उपलब्ध है।
आलू का उत्पादन-खेत से उपभोक्ता तक का सफर
भोजन के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली फसलें गेहूं, धान और मक्का के बाद आलू दुनिया की चौथी सबसे बड़ी खाद्य फसल है।
नींबू प्रजाति के फलों की खेती में कीट प्रबंध
नींबू प्रजाति के फलों की खेती में कीट प्रबंध
मधुमक्खी पालन मधुमक्खी वंशों की देखभाल
मधुमक्खी पालन किसानों के लिए प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से लाभदायक व्यवसाय है। कृषि विविधिकरण के अंतर्गत इस व्यवसाय की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है।
आधुनिक कृषि में जैविक खेती का महत्व
जैविक खेती कृषि का वह तरीका है जिसमें रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के बिना या कम प्रयोग से फसलों का उत्पादन किया जाता है, जैविक खेती कहलाती है, इसका अहम उद्देश्य मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाए रखने के साथ-साथ फसलों का उत्पादन बढ़ाना है।
किसान बचाओ, देश बचाओ
कृषि का विषय संविधान की सातवीं शड्यूिल की 'स्टेट लिस्ट' में शामिल है। इसका अर्थ है कि कृषि संबंधी कानून बनाने का अधिकार राज्य सरकारों को है। इन अधिकारों के अधीन ही भिन्न-भिन्न राज्य सरकारों की ओर से कृषि उपज मंडीकरण कानून बनाये गये थे। परन्तु केन्द्र सरकार ने इन आर्डीनैंसों के विषय को कृषि की जगह 'व्यापार एवं वाणिज्य से संबंधित होने का आधार बनाकर आर्डीनेंस जारी कर दिये हैं।
अंजीर की आधुनिक वैज्ञानिक खेती
परिचय : अंजीर उपोष्ण क्षेत्रों में पाया जाने वाला महत्वपूर्ण फल है। कोहरे को सहन करने में इसकी विशेष क्षमता होती है।
खरीफ प्याज की पौध नर्सरी में तैयार करना
प्याज एक महत्वपूर्ण व्यापारिक सब्जी है। इसका उत्पत्ति स्थान भारत और अफगानिस्तान माना जाता है। यह शल्ककंदीय सब्जी है, जिसके कंद सब्जी के रूप में उपयोग किए जाते हैं। कंद तीखा होता है।
किसानों की बेहतरी के लिए एकीकृत कृषि आवश्यक
अगर देश में खेती को छोटे और सीमांत भूस्वामियों के लिए आकर्षक बनाना है तो इस क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव लाने होंगे। ध्यान रहे कि देश के कुल कृषकों में 85 प्रतिशत इसी श्रेणी में आते हैं।
चुकंदर की बेहतर तरीके से खेती
चुकंदर की बुवाई के लिए सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के मध्य तक का समय उपयुक्त रहता है। देरी से बुवाई करने पर पैदावार व शर्करा की मात्रा में कमी आती है।
मिश्रित खेती का उत्तम विकल्प मत्स्य पालन
आज भारत मत्स्य उत्पादक देश के रूप में उभर रहा है। एक समय था, जब मछलियों को तालाब, नदी या सागर के भरोसे रखा जाता था, परन्तु बदलते वैज्ञानिक परिवेश में इसके लिए कृत्रिम जलाशय बनाए जा रहे हैं, जहां वे सारी सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, जो प्राकृतिक रूप में नदी, तालाब और सागर में होती हैं।
सीलबंद बीज की गुणवत्ता के लिए बीज विक्रेता नहीं बीज उत्पादक उत्तरदायी
बीज कृषि का उत्तम आदान है। अत: उसकी गुणवत्ता विशिष्ठ होनी चाहिए। बीज नियामकों में बीज की गुणवत्ता का उत्तरदायित्व निश्चित किया हुआ है जिसमें मुख्यतः बीज उत्पादक एवं बीज विक्रेता है।
हरे चारे के लिए जई की खेती
पशुओं के लिए पर्याप्त गुणवत्ता युक्त हरा चारा उपलब्ध न होने की वजह से उनकी उत्पादकता पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
मिलावटी खाद्य पदार्थ ये मानव स्वास्थ्य को पहुंचाते हैं हानि
अधिकतर अनाज, दालों, मसालों, चाय, कॉफी, चीनी आदि में इनकी मात्रा बढ़ाने हेतु रेत, मिट्टी, कंकड़, पत्थर, तिनके आदि मिलाए जाते हैं। सस्ती व सर्वसुलभता के कारण खेसारी की दाल अरहर व चना की दाल, पिसे हुए बेसन तथा उसके व्यंजनों में मिलाई जाती है।
प्याज व लहसुन में परिपक्वता का करें सही चुनाव
किसान भाई कभी भी लहसुन व प्याज की खुदाई अपरिपक्व अवस्था में न करें अन्यथा कंदों की गुणवत्ता व भंडारण क्षमता कम हो जाती है, जिससे किसानों की आय पर विपरीत प्रभाव आ सकता है। पत्तियों पर पीलापन व सुखना शुरू होने पर सिंचाई बंद कर दें। इसके कुछ दिन बाद लहसुन की खुदाई शुरू करें।
उचित फसल चक्र अपनाएं, मृदा की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं
फलीदार फसलों को फसल चक्र में सम्मिलित करने से भूमि की उर्वरा शक्ति नष्ट नहीं होती क्योंकि दलहनी फसलों का प्रयोग करने से नाइट्रोजन का जैविक स्थिरीकण होता है जिससे मृदा नाइट्रोजन के मामले में आत्मनिर्भर बनती है।
डेयरी पशुओं का चुनाव
पशुपालकों का एक सवाल होता है कि वह डेयरी फार्म के लिए गाय रखें या भैंस ताकि वह साल भर दूध उत्पादन कर सकें तथा दूध की गुणवत्ता भी बनी रहे व उसे दूध का अच्छा मूल्य भी मिल सके। इसके लिए जरूरी है कि हम दोनों प्रकार के पशुओं के गुणों को जानें।
कृषि उत्पादों के निर्यात में भारी वृद्धि
गेहूं उत्पादन में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक बन चुका है। लेकिन निर्यात में 34वें स्थान पर है। इसी तरह सब्जियों के उत्पादन में भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश जरूर है, लेकिन निर्यात के मामले में 14वें स्थान पर है।
चना की वैज्ञानिक खेती
चने की फसल में बीज शोधन हेतु दो ग्राम थीरम के साथ 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम का मिश्रण प्रति कि.ग्रा.बीज की दर से प्रयोग करते हैं। इसके पश्चात बीज को चने के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से उपचारित करना चाहिए।
फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के लक्षण और निदान
अन्य पोषक तत्वों की भांति सूक्ष्म पोषक तत्व फसल एवं उससे प्राप्त होने वाली उपज पर प्रभाव डालते हैं।
बकरी पालन में उत्तम प्रणाली द्वारा अधिक लाभ के अवसर
समस्त पशुधन प्रजातियों में बकरी एक महत्वपूर्ण बहुउपयोगिता वाला पशु जिसका पालन दूध एवं मांस के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति के लिए किया जाता है।
जौ की खेती का आर्थिक एवं सामाजिक महत्व
अगर किसान भाईयों को कम लागत से अधिक आर्थिक लाभ लेना हो तो उनको ऐसा फसल चक्र अपनाना चाहिए जिससे एक साल में तीन फसलें उगा सकें धान के बाद जौ की फसल लें और जौ के बाद मूंग की फसल लेना सबसे उपयुक्त होगा। या फिर कोई और फसल चक्र अपनाएं जिससे जौ के साथ एक वर्ष में तीन फसलें मिल सकें। ऐसा करने से किसान को लाभ तो होगा ही, साथ ही साथ भूमि की दशा में भी सुधार होगा। जौ में सिंचाई की भी कम आवश्यकता होती है जिससे पानी की बचत होगी और इस पानी का प्रयोग जायद में मूंग की फसल लेने में कर सकते हैं।