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मनरेगा की कृषि एवं ग्रामीण विकास में भूमिका
महात्मा गांधी के स्वप्न के अनुसार देश का विकास तभी संभव है जब देश के प्रत्येक मनुष्य तक रोजगार की पहुंच होगी। वर्ल्ड बैंक के अनुसार मनरेगा विश्व में पहली ऐसी स्कीम है जो गरीबी के उत्थान में सहायक है।
पहली शहद परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन
केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने गुजरात के आणंद जिले में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के परिसर में सरकार की पहली शहद परीक्षण प्रयोगशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि इससे घरेलू और वैश्विक बाजारों में गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सुनिश्चित होंगे और किसानों को भी अपने उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य मिल सकेंगे।
इन-सीटू पुआल प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनें
"भारत सरकार की ओर से फसलों के अवशेष के रखरखाव के लिए हरियाणा, पंजाब, यू.पी. एवं राजस्थान के किसानों को राज्य सरकारों द्वारा इन-सीटू प्रबंधन के लिए विशेष सब्सिडी पैकेज दिया जा रहा है ताकि किसान इनसीटू पुआल प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी खरीद सकें।"
अमरूद के विभिन्न रोग व कीट
अमरूद भारतवर्ष में एक लोकप्रिय फल है। अमरूद विटामिन सी, लाइकोपिन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। इसमें केले के बराबर मात्रा में पोटाशियम होता है, जो ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखने में मदद करता है।
किसान की आय कैसे बढ़े ?
किसान उत्पादक है और खेत तैयार कर बीज बोने से लेकर, अंतिम उत्पाद तैयार होने तक की सभी गतिविधियों की व्यवस्था करता है। कंपनी कार्यशैली की दृष्टि से देखो तो उसका कार्य मैनेजर-प्रबंधक जैसा है। वह सर्वप्रथम स्थायी पूंजी (फिक्स्ड कैपिटल) यानी कि जमीन का फसल उत्पादन हेतु निवेश करता है।
देश में चली पहली किसान ट्रेन
भारतीय रेलवे और कृषि मंत्रालय के संयुक्त प्रयास के बाद स्पेशल किसान ट्रेन की शुरूआत की जा रही है। यह स्पेशल पार्सल ट्रेन की तरह होगी। इसमें किसान और व्यापारी इच्छा के अनुरूप माल की लदान कर सकेंगे।
भारत टॉप-5 एग्री गुड्स एक्सपोर्टर्स में शामिल हो सकता है
कृषि निर्यात की दिशा में हमने प्रगति तो की है लेकिन जो भी प्रगति हुई है, वह हमारी क्षमता के मुकाबले बहुत कम है
मृदा जैविक कार्बन क्या है ? मृदा में जैविक कार्बन ह्रास एक प्रमुख समस्या
मृदा में उपस्थित कार्बनिक पदार्थों में वांछित कार्बन को मृदा जैविक कार्बन कहते हैं। मृदा में मिलाये गये अथवा उपस्थित वानस्पतिक व जंतु अवशेष, सूक्ष्म जीव, कीड़े, मकोड़े, अन्य जंतुओं के मृत शरीर, मृदा में मिलाये जाने वाले खाद (जैसे गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट हरी खाद, राख पशुओं की बिछावन आदि मृदा कार्बनिक पदार्थ कहलाते हैं।
स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है बकरी का दूध
बकरियां, पशुधन उद्योग का महत्वपूर्ण घटक हैं। कठोर मौसम की अनुकूलनशीलता उन्हें भूमिरहित और सीमांत किसानों की आजीविका के लिए उपयुक्त साधन बनाती है। दूध और दूध उत्पादों की आपूर्ति तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्वास्थ्य में बकरियों का योगदान एवं भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
खरीफ फसलों की देखभाल
खरीफ फसलों में अगस्त का महीना फसल की अंतिम उत्पादकता का दर्पण होता है। यह महीना फसलों की निराई-गुड़ाई, खड़ी फसल में यूरिया खाद देना, पोषक तत्वों की कमी की पहचान तथा उसकी रोकथाम आदि के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
क्या भारत फिर कृषि प्रधान बनेगा?
समाज में किस्सागोई का अपना महत्व है। ये किस्से अक्सर दीर्घकालीन बदलावों का सशक्त संकेत देते हैं। कुछ दशकों पहले जब किसान अपने खेतों से कीटों के गायब होने और परागण न होने की चर्चा करते थे, तब कहानियों से ही पता चला था कि इन कीटों की विलुप्ति से खेती पर नकारात्मक असर पड़ा रहा है।
धान की बीमारी को कैसे नियंत्रित करें
धान की बीमारी को कैसे नियंत्रित करें
एमएसपी से आधी कीमत पर मक्का बेचने को मजबूर किसान
कोविड-19 से लड़ने के लिए लगाए गए देशव्यापी लॉकडाउन का असर मक्का किसानों पर देखने को मिल रहा है। किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य तो दूर, मक्का बेचकर लागत तक नहीं मिल पा रहा है। इस वक्त मक्के का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1850 रुपए प्रति क्विंटल है, लेकिन सिवनी के मोहन सिंह ने कृषि उपज मंडी सिमरिया पर 5 जून को 1020 रुपए में अपना मक्का बेचा।
फार्म मशीनीकरण का बाजार और तकनीकी द्वारा कृषकों की आय में अभिवृद्धि
फार्म मशीनीकरण न केवल श्रम समय और कटाई के उपरांत हानि को कम करता है, बल्कि लंबी अवधि में उत्पादन लागत में कटौती करने में भी मदद करता है।
मिर्ची के महत्वपूर्ण रोग एवं प्रबंधन
यह रोग नर्सरी में नवजात पौधों को भूमि की सतह पर आक्रमण पहुंचाता है। रोग से पौधे अंकुरण से पहले और बाद में भी मर जाते हैं। ग्रसित पौधे सूख कर जमीन की सतह पर गिर जाते हैं। पानी की अधिकता से रोग की उग्रता बढ़ जाती है।
पौष्टिकता से भरपूर सेंजना की खेती किसान के लिए मुनाफे का सौदा
सहजन, ड्रमस्टिक, मुनगा, सहिजन, सेंजना, मुरिंगा, गठीगना, सिंहफली आदि नामों से जाना जाता है। यह किसानों के लिए एक बहुवर्षीय सब्जी देने वाला जाना-पहचाना पौधा है।
कृषि पर कोरोना के दुष्प्रभाव एवं संभावित समाधान
भारतीय कृषि क्षेत्र, जो हाल ही में असमान मानसून के कारण पीड़ित था, कोरोना वायरस के विघटन के कारण एक और समस्या का सामना कर रहा है। जिन किसानों ने रबी मौसम की फसलें (मुख्य रूप से गेहूं, सरसों और दलहन) उगाई थीं, उन्होंने हाल ही में असमय और भारी वर्षा के कारण अपनी फसलों के नुकसान की शिकायत की थी।
जैविक खेती का आधार-जीवाणु कल्चर
जैविक खेती हमारे देश में प्राचीन काल से ही की जाती रही है। उस समय खेतों को उपजाऊ बनाने के लिए जैविक खेती के अलावा कोई अन्य साधन उपलब्ध नहीं था।
मूंग की उन्नत किस्में व कृषि क्रियाएं
एक एकड़ के बीज को छाया में पक्के फर्श पर फैलाकर बह धोल अच्छी तरह बीज में मिला दें ताकि प्रत्येक वीज पर गुड़ का घोल चिपक जाए। इसके बाद राइजोबियम के पैकेट को खोलकर गुड़ लगे वीज पर डालें तथा हाथों से सारे बीज में मिला दें। कल्चर लगे बीज को छाया में सुखाकर बिजाई करें।
लोबिया की खेती
लगभग सभी प्रकार की भूमियों में इसकी खेती की जा सकती है। मिट्टी का पी.एच.मान 5 से 6.5 उचित है। भूमि में जल निकास का उचित प्रबंध होना चाहिए तथा क्षारीय भूमि इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।
औषधीय गुणों से भरपूर करेला
करेला एक वर्षीय लता है, जिसका तना पतला व 3-4 मीटर तक लंबा होता है।
कृषि अध्यादेशों का सच-झूठ
किसानों की फसलों की खरीद बेच के संबंध में इच्छा की चुनाव का प्रबंध करना है ताकि कृषि व्यापार में प्रतिस्पर्धा के कारण बदलते व्यापारिक स्रोतों द्वारा किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य मिल सकें।
मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बढ़ाने के लिए उगाएं हरी खाद
आवश्यक पोषक तत्वों की पूर्ति हेतु व मिट्टी की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखने में हरी खाद एक उत्तम विकल्प है। आमतौर पर देखा गया है कि मृदा स्वास्थ्य को अच्छी अवस्था में बनाए रखने में हरी खादें भी गोबर खाद जितनी ही उपयोगी हैं।
कीटनाशकों का उचित व सुरक्षित प्रयोग कैसे...
फसलों को कीटों के हमले व बीमारियों से बचाने के लिए कई किस्म की दवाओं का प्रयोग किया जाता है परन्तु इन दवाओं का स्प्रे सही ढंग, सही मात्रा में हो जाए तो इन दवाओं से पूरा लाभ उठाया जा सकता है।
एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन
जैविक खादों से न केवल पोषक तत्वों की पूर्ति होती है बल्कि इनके प्रयोग से मिट्टी के भौतिक और रासायनिक गुणों में वांछित सुधार भी होता है, अतः जैविक खादों का प्रयोग न होने से मिट्टी के गुणों में गिरावट आई जिससे मिट्टी का उपजाऊपन प्रभावित हुआ। सघन कृषि के अंतर्गत अत्याधिक दोहन से मिट्टी के उपलब्ध फास्फोर्स और पोटाश की मात्रा में भारी कमी हुई।
मृदा की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के उपाय
आजादी के समय आधुनिक तकनीकियां कमी के कारण खेती से बहुत ही कम अनाज उत्पादित होता था, इसलिए खाने के लिए अनाज विदेशों से मंगाया जाता था।
कपास की जैविक खेती
गर्मी में गहरी जुताई करें और खेत को तपने के लिए छोड़ दें। इससे फफूंद जनित रोग व इल्ली का प्रकोप होता है। कपास का खेत तैयार करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि खेत पूर्णतया समतल हो ताकि मिट्टी की जलधारण एवं जलनिकास क्षमता दोनों अच्छे हों।
आंवले की खेती से कृषकों का उत्थान
.संस्कृत में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा इत्यादि कहते हैं ।यह वृक्ष समस्त भारत में जंगलों तथा बाग-बगीचों में होता है।
'युवा और कृषि युवाओं को प्रेरणा की आवश्यकता'
युवा वर्ग उन आवश्यक समाधानों की खोज कर सकता है जो जलवायु परिवर्तन और अन्य मौसमी असामान्यताओं को ध्यान में रखते हुए खेती के नवीन तरीके विकसित कर सकें। कृषि को एक व्यवसाय बनाने की रणनीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है
अरबी की वैज्ञानिक ढंग से खेती करके पायें अधिक लाभ
अरबी को दूसरे शब्द में घूईया कहा जाता है। भारत में अरबी दो प्रकार की होती है, जिसमें एक एडिन और दूसरी डेसिन टाइप होती है।