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कृषि पर मौसम की विषम परिस्थितियों का प्रभाव एवं बचाव के उपाय
बदलते मौसम का असर सब्जी वाली फसलों पर अधिक पड़ता है। इस समय में आलू, मटर, टमाटर व सरसों जैसी फसलों में चूसक कीड़े लग जाते हैं और झुलसा, पत्ती धब्बा व बुकनी रोग लगने की संभावना अधिक रहती है।
कृषक खेती पाठशाला (एफ एफ एस)
कृषक खेती पाठशाला (FFS) एक समूह-आधारित व्यस्क शिक्षा है जिसका दृष्टिकोण ये है कि कैसे किसान प्रयोग करके सीखें और अपनी समस्याओं को स्वतंत्र रूप से हल कर सकें।
मौसम पूर्वानुमान एवं फसल प्रबंधन
किसी भी क्षेत्र का कृषि उत्पादन उस क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले बहुत से जैविक, अजैविक, भौतिक, सामाजिक व आर्थिक कारकों पर निर्भर करता है। मुख्यतः जैविक व अजैविक कारकों में मुख्य रूप से मौसमी तत्व, मिट्टी का स्वास्थ्य, जल संसाधन, फसलों के प्रकार व विभिन्न प्रजातियां, फसलों में होने वाली बीमारियां, कीट इत्यादि का प्रकोप आते हैं।
लवण प्रभावित भूमि के लक्षण एवं सुधार
लवण युक्त भूमि के सुधार एवं इनमें सफल फसल उत्पादन हेतु उपाय अपनाने से पहले भूमि का सही निदान एवं लक्षण जानने की प्राथमिक आवश्यकता है।
बैंगन के एकीकृत कीट प्रबंधन के लिए रणनीतियां
विभिन्न सब्जियों के बीच, बैंगन प्रचलित है और देश भर में बड़े पैमाने पर पैदा किया जाता है।
धान का उचित विकल्प मक्का
हरियाणा व पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा में अहम भूमिका अदा करता है। इसकी लगभग 80 प्रतिशत जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर आधारित है। हरियाणा का कुल क्षेत्रफल 442 लाख हैक्टेयर है जो भारतवर्ष के कुल क्षेत्रफल का मात्र 1.4 प्रतिशत है।
बाजरा की उन्नत सस्य क्रियाएं
बाजरे की फसल पानी का ठहराव सहन नहीं कर सकती है। इसलिए भारी वर्षा का पानी खेतों में नहीं ठहरने देना चाहिए। मेढ़ों पर बाजरा की बिजाई करने से जल निकास आसानी से हो जाता है।
धरती की उपजाऊ क्षमता को कैसे बचाएं/बनाए रखें
आलोक नलिन, भारत इंसैक्टीसाइड्स लिमिटेड, मार्केट डेवलपमेंट मैनेजर, लुधियाना
पुष्पोत्पादन की संभावना हेतु मौजूदा अनुसंधान गतिविधियां
पुष्पों की खेती खुले स्थान में अथवा पॉलीहाउस में की जा सकती है। पॉलीहाउस में की जाने वाली खेतीको वरीयता दी जाती है क्योंकि इससे कृत्रिम रूप से नियंत्रित पर्यावरण उपलब्ध होता है जिसमें रोगों, कीटों, उच्च तापमान, अत्याधिक रोशनी, भारी वर्षा आदि के खतरे न्यूनतम हो जाते हैं अतः पुष्पों का उत्पादन हर मौसम में पूरे वर्ष किया जाता है - सतीश कुमार, आर.के. राय, शिल्पी सिंह, रामेश्वर प्रसाद एवं अनिल कुमार गोयल, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान, लखनऊ (उ.प्र.)-226001 मो.09415881672
आधुनिक कृषि का पर्यावरण पर प्रभाव
प्रमोद कुमार, सोमेन्द्र वर्मा, एवं रविकेश कुमार पाल, शोध छात्र, सस्य विज्ञान विभाग, शोध छात्र, फल विज्ञान विभाग, चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि., कानपुर शोध छात्र, सस्य विज्ञान विभाग, बिहार कृ.विवि., साबौर
दुनिया कोरोना से महसूस करें प्रकृति की प्रबलता
भारत सहित कई देशों में इंसानों की अनगिनत मौत हो रही है और इस चुनौती का हाल कोई देश नहीं निकाल पा रहा है। आखिरकार प्रकृति प्रबल है। वैश्विक महामारी प्रकृति की ही देन है। इस इशारे को दुनिया अभी भी समझ जाए, तो बेहतर ही होगा।
विष युक्त से विष मुक्त कृषि
धरती मां की गोद में प्रफुल्लित होकर पैदा हो रही वनस्पति उसकी कृषि ही है। प्रकृति के नियम अटल हैं। इस ग्रह पर चल रहा जीवन इन नियमों पर ही आधारित है।
सघन खेती में हरी खाद का महत्व'
भगत सिंह, ए.के.ढाका एवं मुकेश कुमार, सस्य विज्ञान विभाग, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार मो.094160-74166
अमरूद की खेती
अमरूद को अंग्रेजी में गुआवा कहते हैं। वानस्पतिक नाम सीडियम ग्वायवा, प्रजाति सीडियम, जाति ग्वायवा, कुल मिटसी। वैज्ञानिकों का विचार है कि अमरूद की उत्पति अमरीका के उष्ण कटिबंधीय भाग तथा वेस्ट इंडीज़ से हुई है।
किसान रथ ऐप
केविन क्रिस्टोफर', शशिता एक्का, डॉ. एडलिन टिम्गा, प्रसार शिक्षा विभाग, बिहार कृषि विवि. सबौर पर्यावरण विज्ञान विभाग, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विवि., अमरकंटक
कोरोना की दहशत में डूबेगी खेती
कटाई के इंतजार में खड़ी फसलों पर उमड़ घुमड़ कर आते बादल किसानों की धड़कने बढ़ा रहे हैं। राजस्थान के किसान पहले ही टिड्डियों का भयंकर आक्रमण झेल चुके हैं। खरीफ की फसलों का सफाया कर चुकी है ओलावृष्टि।
कोरोना वायरस एवं कृषि संकट
कोरोना वायरस एवं कृषि संकट
हल्दी की अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए रोगों का प्रबंधन
जय कुमार यादव, वी.पी. पांडे, एस.के.सिंह, दिव्या सिंह एवं *साध्वी यादव, नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, फैजाबाद, *श्रीमती जैदेवी महिला, महाविद्यालय बभनान गोंडा
अरंड की खेती के लिए उन्नत कृषि क्रियाएं
ज्यादातर किसान अरंड की फसल में खाद का प्रयोग नहीं करते। परंतु सही मात्रा व सही समय पर खादों के प्रयोग से इसका उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
बदलती जनसंख्या के परिदृश्य में मशरूम की खेती का महत्व
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय बाजार में मशरूम की मांग तेजी से बढ़ी है, जिस हिसाब से बाजार में इसकी मांग है, उस हिसाब से अभी तक इसका उत्पादन नहीं हो रहा है, ऐसे में किसान मशरूम की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। इसे देखते हुए मशरूम के बड़े पैमाने पर उत्पादन की आवश्यकता है।
फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व
नरेन्द्र कुमार गोयल, प्रताप सांगवान, दिनेश तोमर व रणवीर मलिक, चौ. च. सिंह हरियाणा कृषि विवि., कृषि विज्ञान केन्द्र दामला, यमुनानगर
अरंड उत्पादन की उन्नत कृषि क्रियाएं
अरंड की अच्छी पैदावार के लिये खादों की सही मात्रा का उपयुक्त आवश्यकता पर प्रयोग करना अति आवश्यक है। वर्षा आधारित अरंड में 8 कि.ग्रा. नाइट्रोजन व 16 कि.ग्रा. फास्फोर्स प्रति एकड़ बिजाई से पहले डालें।
खेती और नैनो टेक्नोलॉजी
राघवेन्द्र सिंह (यंग प्रोफैशनल) कृषि विज्ञान केन्द्र बसुली, महराजगंज आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या
उपयोगी सब्जी भिंडी की उत्पादन तकनीकी
परिचय : भिंडी उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय में उगाई जाने वाली एक वार्षिक सब्जी है। हरे फलों की करी और सूप बनाया जाता है। जड़ और तना का उपयोग 'गुड़' की तैयारी और गन्ने के रस को साफ करना एवं फलों की उच्च आयोडीन सामग्री जो घेघा नामक बीमारी को नियंत्रित करने में मदद करती है।
स्वास्थ्य एवं स्वाद की पहचान बने जैविक कृषि उत्पाद
वर्तमान परिवेश में विश्व उपभोक्ता की जैविक कृषि उत्पादों में रूचि एवं मांग बढ़ रही है। लेकिन इसके विपरीत सर्वाधिक जैविक खेती का रकबा रखने वाला भारत उत्पादन एवं विश्व बाजार में अपने जैविक कृषि उत्पाद के विक्रय प्रदर्शन में कमतर साबित हो रहा है।
संरक्षित खेती का वर्तमान परिस्थिति में महत्व एवं संभावनाएं
संरक्षित खेती का वर्तमान परिस्थिति में महत्व एवं संभावनाएं
मौसमी घटनाओं का मंहगाई पर प्रभाव
मुख्य खाद्य पदार्थों की कीमतों में औसतन दोगुना से अधिक वृद्धि हो गई है। इसकी बड़ी वजह तापमान में वृद्धि या अत्याधिक बारिश या बारिश के पैटर्न में बदलाव साबित होंगे।" इसमें एक और डरावना पूर्वानुमान है, जो भारत के लिए प्रासंगिक है।
मक्का की उन्नत खेती
अंकज तिवारी, निरुपमा सिंह, शिवम दूबे, शोधछात्र- आचार्य नरेन्द्र देव कृषि एवं प्रौ.विवि.,कुमारगंज, अयोध्या (उ.प्र.) शोध छात्र, चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौ. विवि., कानपुर (उ.प्र.)
भारत में बीज उद्योग : स्थिति एवं भविष्य
केविन क्रिस्टोफर, विपिन कुमार मौर्यः, अमन कुमार, चैताली कुमारी, प्रतीक कुमार, प्रसार शिक्षा विभाग, BAU, साबौर, सब्जी विज्ञान विभाग, ANDUAT फैजाबाद आनुवांशिकी और पादप प्रजनन विभाग, JNKVV, जबलपुर
भारत में बीज उत्पादन एवं उद्योगका परिदृश्य
डॉ. अम्बरीष सिंह यादव एवं डॉ. संजीव कुमार, उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद, अष्टम तल, किसान मंडी भवन, विभूती खंड, गोमती नगर, लखनऊ