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रबी फसलों में खरपतवार प्रबंधन
पूर्वी उत्तर प्रदेश में रबी के मौसम में मुख्य रूप से गेहूं, दलहन ( चना, मसूर, मटर) और तिलहन (सरसों/राई) की खेती की जाती है. इस के साथ ही कुछ क्षेत्रों में सब्जियों वाली फसलों की भी खेती की जाती है. इन सभी फसलों में खरपतवार का प्रबंधन एक मुख्य समस्या के रूप में सामने आ रहा है.
रबी मौसम की सब्जियों में बिना रसायन के कीट प्रबंधन
रबी की सब्जियों में मुख्य रूप से गोभीवर्गीय में फूलगोभी, पत्तागोभी, गांठगोभी, सोलेनेसीवर्गीय में टमाटर, बैगन, मिर्च, आलू, पत्तावर्गीय में धनिया, मेथी, सोया, पालक, जड़वर्गीय में मूली, गाजर, शलजम, चुकंदर एवं मसाला में लहसुन, प्याज आदि की खेती की जाती है.
किसानों के सपनों को उड़ान देते ड्रोन
आज के समय में खेती में इस्तेमाल होने वाला ड्रोन एक ऐसा कृषि यंत्र है, जो हवा में उड़ कर खेतों में खाद उर्वरक/कीटनाशक का छिड़काव मनमाफिक कर सकता है, खेतों की निगरानी कर सकता है.
मशीन से आलू की खुदाई
आलू की अगेती खेती लेने वाले किसान अपने खेत में आलू की फसल लेने के तुरंत बाद गेहूं की बोआई कर देते हैं. अभी जो बाजार में आलू आ रहा है, वह कच्चा होता है. उस का छिलका भी हलका रहता है, इसलिए इस में टिकाऊपन नहीं होता. इसे स्टोर कर के नहीं रखा जाता.
खेती में रासायनिक उर्वरक सेहत के साथ खिलवाड़
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के महानिदेशक डा. नरहरि बांगड़ ने कहा कि किसान फसलों में आने वाली किसी भी प्रकार की बीमारी की रोकथाम के लिए कृषि विशेषज्ञों की सलाह ले कर ही दवा का छिड़काव करें.
राजस्थान के राज्यपाल के हाथों 'एक्सीलेंस अवार्ड' से डा. राजाराम त्रिपाठी सम्मानित
विगत 30 वर्षों से अधिक समय से हर्बल कृषि के क्षेत्र में नित नएनए शोध एवं प्रयोगों की वजह से हर्बल कृषि में वैश्विक स्तर पर लगातार कई कीर्तिमान स्थापित करते हुए खेती को फायदे का सौदा बना कर उस से लाभ प्राप्त करने वाले कोंडागांव, बस्तर, छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हर्बल किसान डा. राजाराम त्रिपाठी को कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने मंच से सम्मानित किया.
हाईटैक नर्सरी बढ़ाएंगी किसानों की आमदनी
उत्तर प्रदेश में किसानों को विभिन्न प्रजातियों के उच्च क्वालिटी के पौधे उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इजराइली तकनीक पर आधारित हाईटैक नर्सरी तैयार की जा रही है. यह काम मनरेगा अभिसरण के तहत उद्यान विभाग के सहयोग से कराया जा रहा है और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत गठित स्वयं सहायता समूहों की दीदियां भी इस में हाथ बंटा रही हैं. इस से स्वयं सहायता समूहों को काम मिल रहा है.
केले के रोग व प्रबंधन
केला एक महत्त्वपूर्ण फल है, जो दुनियाभर में पसंद किया जाता है, लेकिन इस की फसलें बीमारियों के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं.
अरंडी की खेती
यह ऐसा पौधा है, जो बिना देखभाल किए खाली पड़ी जगहों पर अच्छाखासा पनप जाता है. अगर थोड़ी सी देखभाल कर के खेती की जाए, तो यह खासी मुनाफे वाली फसल है.
सूरजमुखी की खेती
हमारे देश में तिलहनी फसलों का उत्पादन उतना नहीं है, जितना होना चाहिए. तिलहनी फसलें ही ऐसी फसल हुआ करती हैं, जिन में लागत कम व शुद्ध लाभ दोगुनातिगुना मिलने की संभावना रहती है. ऐसे में सूरजमुखी एक बड़ी ही महत्त्वपूर्ण फसल है. इस में 40 से 45 फीसदी शुद्ध तेल निकलता है. इस की खली में प्रोटीन बहुत अधिक मात्रा में होता है, जो मुरगियों और पशुओं को आहार दे कर उन के स्वास्थ्य को उत्तम बनाता है.
अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की जांच जरूरी
जिस तरह से जीवजंतुओं व प्राणियों में अच्छी सेहत के लिए अनेक पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है, उसी तरह से खेत की मिट्टी से अच्छी पैदावार लेने के लिए उन्हें भी पोषक तत्त्वों की जरूरत होती है. अगर खेत की मिट्टी में समुचित मात्रा में पोषक तत्त्व मौजूद हैं तो हमें खेती से अच्छी उपज मिलेगी.
उत्तर प्रदेश में गन्ना, खेती की मौडर्न तकनीक
हमारे देश के कुल गन्ना क्षेत्रफल का तकरीबन 60 फीसदी हिस्सा उत्तर भारत के राज्यों में है, जबकि कुल गन्ना उत्पादन का महज 50 फीसदी हिस्सा ही इन राज्यों से मिलता है.
शकरकंद की उन्नत खेती
स्टार्च की मात्रा से भरपूर शकरकंद ज्यादातर शरीर में ऊर्जा बढ़ाने के लिए उपयोग में लाई जाती है, इसलिए इसे भूख मिटाने के लिए सब से उपयोगी माना जाता है.
जलवायु के बदलाव से घट रहा कृषि उत्पादन
भारत की आबादी तकरीबन डेढ़ अरब है. अब यह दुनिया की सब से बड़ी आबादी वाला देश हो चुका है. इस से प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का दबाव भी बढ़ रहा है. बढ़ी हुई आबादी ने देश में खाद्यान्न की मांग में भी बढ़ोतरी की है.
गेहूं बीज : प्राकृतिक आपदा में भी लहलहाएगी फसल
बारिश, आंधी, तूफान, ओला जैसी प्राकृतिक आपदा आने पर सब से पहले इस का फसलों पर बुरा असर पड़ता है. हरीभरी लहलहाती खड़ी फसल तबाह हो जाती है और किसानों की महीनों की मेहनत पर पानी फिर जाता है. लेकिन अब गेहूं फसल लेने वाले किसानों के लिए गेहूं की एक खास विकसित प्रजाति मौजूद है, जिसे राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किसान प्रकाश सिंह रघुवंशी ने विकसित किया है.
दिसंबर महीने के खास काम
अब तक उत्तर भारत में सर्दियां हद पर होती हैं. वहां के खेतों में गेहूं उगा दिए गए होते हैं. अगर गेहूं की बोआई किए हुए 20-25 दिन हो गए हैं, तो पहली सिंचाई कर दें. फसल के साथ उगे खरपतवारों को खत्म करें.
जहांगीरी घंटा साबित हुआ पीएम का शिकायत सुझाव पोर्टल - डा. राजाराम त्रिपाठी
सरकार यह कहते नहीं थकती है कि वह हर नागरिक की सहभागिता शासन में चाहती है. ऐसे में कोई विशेषज्ञ अगर मेहनत कर के कोई सार्थक सुझाव सरकार को भेजता है, तो उसे कोई श्रेय देना तो दूर उस की अभिस्वीकृति तक नहीं की जाती है. ऐसे में 'सब का साथ, सब का विकास' जैसे खोखले नारों का क्या मतलब रह जाता है?
हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती
प्रदेश के किसान लंबे समय से मांग करते आ रहे हैं कि राज्य में भांग की खेती को वैध घोषित कर उन की आय में बढ़ोतरी की जाए. भांग की खेती को मान्यता देने के साथ ही इस पर सरकार कड़ी निगरानी रखने की व्यवस्था भी करे, जिस से भांग की खेती का अवैध कारोबार रोका जा सके.
गन्ने की खेती को आसान बनाते यंत्र
आमतौर पर गन्ने की बोआई शरदकाल में 15 अक्तूबर से 15 नवंबर माह के बीच या वसंत के मौसम में 15 फरवरी से 15 मार्च तक की जाती है. पहले साल गन्ना बीज से फसल बोआई की जाती है, उस के बाद अगले 2 सालों तक फसल काटने के बाद ठूंठ बचते हैं, उन ढूंठों में से दोबारा अंकुरण होता है और पैदावार मिलती है. इसे पेड़ी या खूंटी फसल कहते हैं.
मैदानी इलाकों में आलू की उन्नत खेती
आलू की खेती प्रारंभिक अवस्था में पहाड़ी इलाकों में की जाती थी, धीरेधीरे आलू की खेती का विस्तार मैदानी इलाकों में भी होने लगा. पर क्या मैदानी इलाकों का आलू किसानों को मुनाफा देता है?
अधिक उत्पादन के लिए ऐसा भी किया जाना चाहिए
गरमियों में मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई अवश्य करनी चाहिए.
अजोला की खेती पशुओं का पौष्टिक आहार
हमारे देश में पशुओं के लिए पौष्टिक चारे की किल्लत दिनोंदिन विकट रूप धारण करती जा रही है. ऐसे में वर्षभर हरे चारे की उपलब्धता भी संभव नहीं हो पाती है. पशुपालकों को वर्ष के अधिकांश महीनों में सूखे चारे के रूप में भूसा, बाजरा व पुआल से बना चारा ही खिलाना पड़ता है. साथ ही, पशुपालकों को पौष्टिक चारे के रूप में पोषक आहार में सरसों की खली, दड़ा, दलिया इत्यादि भी देना पड़ता है, जिस पर 15 से 30 रुपए प्रति किलोग्राम का खर्च आता है.
गोभीवंगीय सब्जियों की जैविक खेती
भारत में सर्दी के मौसम में गोभीवर्गीय सब्जियों में मुख्यतया फूलगोभी और पत्तागोभी की अधिक खेती की जाती है, किंतु कुछ गोभीवर्गीय सब्जियां ऐसी भी हैं, जिन की मांग भारत के बाजारों में बढ़ रही है जैसे ब्रोकली, ब्रुसेल्स स्प्राउट, लाल पत्तागोभी, चाइनीज पत्तागोभी, गांठगोभी.
टमाटर की खेती के लिए उन्नत तकनीकी
टमाटर एक ऐसी सब्जी है, जो आलू और प्याज के बाद सब से अधिक इस्तेमाल में लाई जाती है. टमाटर की फसल को साल में किसी भी मौसम में किया जा सकता है. टमाटर की खेती करने के लिए जल निकास वाली उपयुक्त मिट्टी (दोमट मिट्टी) का होना अधिक उपयोगी होता है. दोमट मिट्टी के अतिरिक्त अन्य मिट्टियों में भी इस की खेती को आसानी से किया जा सकता है, किंतु मिट्टी में उचित मात्रा में पोषक तत्त्व अवश्य होना चाहिए और मिट्टी का पीएच मान भी 6-7 के मध्य होना चाहिए.
गंवई महिलाएं चलाती हैं पुष्टाहार फैक्टरी
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के ब्लौक सल्टौआ गोपालपुर के शिवपुर गांव में गंवई और दलित औरतों ने गर्भवती, धात्री और 6 साल के आंगनबाड़ी के बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए दिए जाने वाले पुष्टाहार की फैक्टरी लगा कर न केवल अपनी माली हालत को बदल दिया है, बल्कि आज वे देश के कुपोषणमुक्त बनाने के संकल्प को भी सच कर रही हैं.
मटर के रोग और प्रबंधन
रबी की दलहनी फसलों में मटर का विशेष स्थान है. मटर का प्रयोग दाल, प्रसंस्कृत, ताजा सब्जी, चारे और हरी खाद के रूप में होता है. मटर की खेती मुख्यतया ताजा फलों के रूप में मौसमी एवं बेमौसमी सब्जी के रूप में की जाती है, परंतु इस का प्रति इकाई उत्पादन बढ़ाने में कवक, जीवाणु, विषाणु, सूत्रकृमि इत्यादि रोग बाधा पहुंचाते हैं. इस की पहचान एवं प्रबंधन करना बहुत जरूरी है.
मिलेट्स से बनाएं सेहतमंद पकवान
बाजरा, कोदो, नाचनी या रागी और कुटकी आदि मिलेट के अंतर्गत आने वाले अनाज हैं.
नवंबर महीने के खेती के काम
हमारे देश में नवंबर महीने की खास फसलें गेहूं, आलू और सरसों मानी जाती हैं. बोआई से पहले खेत की मिट्टी की जांच कराएं और जांच के बाद ही उर्वरकों की मात्रा तय करें. खेत में सड़ी हुई गोबर या कंपोस्ट खाद डालें. अपने इलाके की आबोहवा के अनुसार बोआई के लिए किस्मों का चुनाव करें. बीज को फफूंदीनाशक दवा से उपचारित करने के बाद ही बोएं. बोआई सीड ड्रिल से करने पर बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अच्छी होती है.
कीवी के मिलते हैं अच्छे दाम
अगर बागबानों ने कीवी अच्छी तरह से नहीं पकाई हो तो मंडियों में इस फल को बेचना मुश्किल हो जाता है. कीवी गुणकारी फल है. अगर बगीचे में कीवी लगाई है, तो इसे बंदर, पक्षी आदि जंगली जानवर खाना पसंद नहीं करते. इस वजह से बागबान इस की पैदावार बेफिक्र हो कर करते हैं और इस फल को मंडियों तक पहुंचाने में कोई जल्दबाजी नहीं करते.
आलू की खेती और खास किस्म 'कुफरी मोहन'
आलू की किस्म 'कुफरी केंद्रीय मोहन' को आलू अनुसंधान संस्थान, शिमला, हिमाचल प्रदेश ने ईजाद किया है, यह मध्यम अवधि वाली यानी 90 दिन में उगने वाली किस्म है. इस किस्म के कंद देखने में सफेद क्रीम रंग के, अंडाकार व एकरूपता लिए होते हैं.