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एआइ की खातिर कानूनों की एक झलक
भारत को ऐसे कानून तैयार करने चाहिए जो सुरक्षा और रक्षात्मक जरूरतों के साथ स्थायित्व और भरोसा कायम कर कारोबार में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकें
बुनियादी पुनर्विचार का वक्त
एआइ विकास का मौजूदा मॉडल कुछ कारोबारी खिलाड़ियों के हाथों में ताकत केंद्रित करने का है, जरूरत है ऐसे नए मॉडल की जिसके केंद्र में सार्वजनिक हित और लोक-कल्याण हो
आशा-निराशा और मतिभ्रम
पश्चिमी जगत में सुपरइटेलिजेंट एआई देवताओं और अमर लोगों से जुड़े विनाशकारी सपने हैं, लेकिन भारत में हम स्वाभाविक रूप से रोबोटिक हथियारों से कृष्ण की आरती और उनका जीपीटी क्लोन देखेंगे
भविष्य के सह-चालक
एआइ लोकतांत्रिक तरीके से प्रौद्योगिकी को सुलभ बनाने और व्यापक स्तर पर प्रभाव उत्पन्न करने का एक अवसर है. साथ ही दुनिया की कुछ सबसे गंभीर चुनौतियों का समाधान निकालने में भी मददगार साबित हो सकता है
एआइ की अगली पांत में
एआइ उपयोग के मामलों में सरकारी-निजी सहयोग और सरकारी निवेश को बढ़ावा देकर भारत वैश्विक एआई परिदृश्य में अग्रणी भूमिका निभा सकता है. लेकिन इससे जुड़े नैतिक सवाल नजरों से ओझल न हों
दोधारी तलवार
एआइ सशस्त्र बलों को महत्वपूर्ण बढ़त दे सकता है लेकिन पूर्ण रूप से ऑटोनॉमस हथियार गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं. यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि एआइ का इस्तेमाल नैतिकता को ध्यान में रखकर जिम्मेदारी से हो
हर मर्ज और मरीज की सटीक दवा का आया समय
एआइ में पलक झपकते ही ढेर सारे डेटा का विश्लेषण करने की क्षमता. इसके बूते यह लागत में कमी लाकर, दक्षता बढ़ाकर और हर मरीज / रोग की अलग जरूरत के हिसाब से उपाय सुझाकर भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य को पूरी तरह बदल दे सकता है
एआइ की मदद से चुनाव के संकट और संभावनाएं
एआइ चुनाव अभियान की रणनीतियों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है, मतदाता तक पहुंच को एक पर्सनल टच दे सकता है और यहां तक कि जनमत को प्रभावित कर सकता है. पर ध्यान रहे, इन सारे संभावित फायदों के साथ गंभीर किस्म के जोखिम भी जुड़े हुए हैं जिनका निराकरण कर लेना होगा
भारत को अब एआइ में निवेश बढ़ाने की दरकार
एआइ एक समावेशी तकनीक बन सके और सबको समान अवसर उपलब्ध हों, इसके लिए भारत को इस क्षेत्र में डेटासेट्स, क्षेत्रीय भाषाओं की भागीदारी और एक्सीलेरेटर चिप्स की आपूर्ति बढ़ाने की जरूरत
एआइ के नए युग में रोजगार के अवसर
एआइ के आगाज ने नए किस्म के हुनर के लिए चौकन्ने और दूरदर्शी नजरिए की जरूरत पैदा कर दी है. हमें अपने शैक्षिक और रोजगारपरक ट्रेनिंग सिस्टम का रणनीतिक ढंग से आकलन करके उन्हें नई शक्ल देनी होगी
शब्दों के साथ हमारे संबंध की नई परिभाषा
शब्द, हमारे संचार, इतिहास और ज्ञान के निर्माण खंड, अब एआइ की जद में हैं. यह महज एक तकनीकी छलांग नहीं है. यह एक बुनियादी बदलाव है कि हम किस तरह से सूचनाओं के साथ बातचीत करते हैं और खुद को अभिव्यक्त करते हैं
दुनिया में एआइ का अगुआ होने का लक्ष्य
सरकार का ध्यान एआइ में न केवल भारत को विश्वगुरु बनाने पर है, बल्कि सभी संबंधित पक्षों के लिए सुरक्षा और जवाबदेही सुनिश्चित करना भी है
भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक भरोसेमंद तकनीक
टेक्नोलॉजी में होने वाले बदलाव वैज्ञानिक खोजों को आगे बढ़ाने, इंसानी तरक्की में तेजी लाने और जीवनस्तर को बेहतर बनाने का साधन होते हैं. एआइ से यह सब अप्रत्याशित पैमाने पर होने वाला है और भारत इसमें अग्रणी भूमिका निभाने के लिहाज से बेहतर स्थिति में है
एआइ की अजब पहेली
एआइ से लगभग सभी वाकिफ तो हो चले हैं लेकिन यह आज की सबसे अबूझ पहेली बना हुआ है. हम सभी जाने-बूझे या अनजाने में एआइ का इस्तेमाल कर रहे हैंगूगल सर्च से सबसे जल्दी पहुंचने का रास्ता हो या नेटफ्लिक्स आपको ऐसी फिल्मों की पेशकश कर रहा हो, जैसी आपने हाल में देखी हैं और आपको पसंद हैं.
योजनाओं पर भारी राजनीति
दिसंबर 2016 में राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने एक योजना शुरू की थी, जिसका नाम था 'राजस्थान युवा विकास प्रेरक इंटर्नशिप प्रोग्राम.' सरकारी योजनाओं का लोगों को लाभ पहुंचाने और उन्हें योजनाओं के प्रति जागरूक करने के लिए यह कार्यक्रम शुरू किया गया था.
संक्रांति के बाद की सुगबुगाहट
खरमास के बाद कुछ न कुछ होगा, इन दिनों बिहार में हर जगह यही चर्चा है. खरमास, मतलब हिंदुओं के लिए महीना जिसमें सारे शुभ काम या बड़े फैसले टाल दिए जाते हैं. यह 15-16 दिसंबर से मकर संक्रांति तक चलता है.
अब कलम की फंतासी
फंतासी फिक्शन वाली अपनी पहली किताब जेबा: ऐन ऐक्सिडेंटल सुपरहीरो के जरिए अभिनेत्री हुमा एस. कुरैशी अब लेखिका की भूमिका में उतरीं
आत्मसम्मान की लड़ाई
ये तीन स्टार पहलवान इस जंग के लिए जिंदगी की कोई भी कुर्बानी देने को तैयार थे. उन्होंने एक कथित यौनशोषक और पूरी तरह से मुंह फेर लेने वाले सत्ता प्रतिष्ठान के खिलाफ ऐसा आंदोलन छेड़ा जो मिसाल बन गया
बादशाह ने फिर गाड़ा खूंटा
विराट कोहली तूफानी ताकत बनकर साल 2023 में अपनी रंगत में लौट आए - बल्लेबाजी के विराट मील के पत्थर पार किए और विश्व कप के दौरान दुनिया पर दबदबा कायम किया
शटल के शहंशाह
2023 के हमारे बेहतरीन शटलर, जिन्होंने एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक जीता जो कि बैडमिंटन में भारत के लिए पहला था. इसके अलावा चार अन्य खिताब अपने नाम करते हुए दुनिया में नंबर 1 रैंक पर कब्जा जमाया
बॉक्स ऑफिस का पठान
शाहरुख खान साल 2023 में अभूतपूर्व वापसी कर दो रिकॉर्ड तोड़ ब्लॉकबस्टर के साथ 'बॉलीवुड के बादशाह' की गद्दी पर शान से लौटे
हिमालय में वह हैरतअंगेज फतह
उत्तराखंड के सिलक्यारा में निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को बचाने में अत्याधुनिक मशीनें नाकाम रहीं तो अंत में गुमनाम से 'रैटहोल माइनर' बने संकटमोचन
चंद्रमा पर दस्तक
उनसे चांद पर दस्तक के लिए कहा गया... और उन्होंने कर दिखाया. अब उनकी टीम सूर्य और मंगल का रुख करने के साथ यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने और भारत का अपना अंतरिक्ष स्टेशन बनाने पर काम कर रही है
इस तेवर में जान है
भले ही उन्हें घेरकर संसद से निष्कासित कर दिया गया हो, लेकिन वे मोदी शासन की निरंतर आलोचक रही हैं और अगले कुछ समय में भी रुकने वाली नहीं
दमदार दलबदलू
अजित पवार ने भाजपा गठबंधन की सरकार का हिस्सा बनने के लिए अपने चाचा शरद पवार की पार्टी एनसीपी को तोड़ दिया. अब नए साल में होने वाले दो बड़े चुनाव ही यह साबित करेंगे कि अपने बलबूते वे अपना सियासी रसूख बचाए रख पाते हैं या नहीं
जाति कार्ड के नए प्रणेता
बिहार के मुख्यमंत्री इंडिया गठबंधन का ताना-बाना बुनने वाले सूत्रधार बने और जाति आधारित सामाजिक न्याय को भगवा राजनीति के विरुद्ध विमर्श के केंद्र में ले आए
अराजकता में भी बेफिक्र
मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने जातीय वैमनस्य, राजनैतिक चुनौतियों और कानून-व्यवस्था के बीच जैसे-तैसे राज कायम रखा बदहाल
बढ़ती मुश्किलें
भ्रष्टाचार के खिलाफ जेहाद से उभरकर आए केजरीवाल अब भ्रष्टाचार के ही आरोपों से घिरे हैं, जिससे उनके लिए राजनैतिक चुनौतियां उभर आई हैं
अनवरत यात्री
खुद के भीतर एक आदर्श राजनेता खोजने की राहुल गांधी की यात्रा अनवरत जारी है. लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद भारत जोड़ो यात्रा कांग्रेस नेता के लिए बढ़त लेकर आई है. अब वे पूरब से पश्चिम की तरफ सड़क नापने के लिए निकलने की तैयारी में हैं
अधिकारों के रक्षक
संवैधानिक नैतिकता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दोहरे आदर्शों से प्रेरित जस्टिस चंद्रचूड़ ने अक्सर सुरक्षित बहुमत वाले दृष्टिकोण से असहमति तो जताई लेकिन उनकी राय एक सामूहिक धारणा के दायरे के भीतर समाहित रही.